Header Ads

ad

Sun Stone: Ruby


माणिक्य सूर्य ग्रह का रत्न है। सूर्य ग्रह को बलवान बनाने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए माणिक्य धारण करना चाहिए। जिस प्रकार सूर्य नव ग्रहों में प्रधान है, उसी प्रकार माणिक्य को भी नवरत्नों में श्रेष्ठ माना जाता है। इस रत्न को धारण करने वाले को समाज एवं कार्य स्थल पर मान-सम्मान, उच्च पद, प्रतिष्ठा आदि मिलती है और उसमें दृढ़ इच्छा शक्ति, वाकपटुता आदि गुणों का संचार होता है। सूर्य की तरह माणिक्य भी व्यक्ति की आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धियों को प्रभावित करता है। इसलिए शास्त्रों में माणिक्य को शौर्य, साहस और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। माणिक्य एक कठोर खनिज है। यह मुख्यत: अल्यूमिनियम और ऑक्सीजन यौगिक है। इस रत्न में लोहा और क्रोमियम भी मौजूद होते हैं।

यह विषनाशक है। ऐसा माना जाता है कि इसे त्वचा पर रगड़ने से त्वचा कांतिमय हो जाती है तथा व्यक्ति में यौवन और शक्ति का संचार होता है। मध्यकाल में आम धारणा थी कि जब कोई विपत्ति आने वाली होती है, तो असली माणिक्य अपना रंग बदल देता है। असली माणिक्य पत्थर पर घिसने से घिसता नहीं है और उसका वजन कम नहीं होता है। इसी तरह आंखें बंदकर पलकों पर माणिक्य रखने से ठंडक महसूस होती है।

धारण करने की विधि: इसे धारण करने से पूर्व नक्षत्रों का विचार अवश्य करना चाहिए। अंगूठी को रात में गंगाजल अथवा कच्चे दूध में डुबोकर रख दें। प्रात: काल स्नानादि से निवृत्त होकर अंगूठी को गंगाजल से स्नान कराकर धूप-दीप दिखाकर, नैवेद्य करें। अनार का भोग लगाएं। तत्पश्चात मंत्र  घृणि: सूर्याय नम:मंत्र की पांच माला अथवा कम से कम 1 माला जप करके क्षमा याचना करते हुए दाहिने हाथ की अनामिका में धारण करें। माणिक्य धारण करने के लिए डालाछठका दिन सर्वोत्तम माना जाता है। इसे किसी भी शुक्ल पक्ष के रविवार को सूर्य की होरा में या सूर्य के नक्षत्र में भी धारण कर सकते हैं।

No comments

अगर आप अपनी समस्या की शीघ्र समाधान चाहते हैं तो ईमेल ही करें!!