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Tripur Bhairavi Sadhna Mantra



यह प्रयोग तंत्रिक् बाधा, भूत प्रेत आदि बाधा से लडने के लिए उत्तम, अपनी प्रेमिका-प्रेमी का प्राप्ति के लिए, पत्नी के लिए, या जिस तांत्रिक समस्या का निदान ना हो रहा हो उसके लिए उत्तम है। इस प्रयोग के लिए देवी त्रिपुर भैरवी के चित्र की व्यवस्था कर ले। 

सर्व प्रथम नहा धोकर अपना आसन लगाकर पहले, शरीरक शुद्धि कर प्राणायाम आदि क्रिया करे फिर पुजा शुरु करे। अब गुरु पुजन करे।

ॐ गुरुभ्यो नमः , ॐ गुरु पादुकाभ्यो नमः 
ॐ परम गुरुभ्यो नमः , ॐ परम गुरु पादुकाभ्यो नमः 
ॐ परापर गुरुभ्यो नमः , ॐ परापर गुरु पादुकाभ्यो नमः 
ॐ परमेष्ठि गुरुभ्यो नमः , ॐ परमेष्ठि गुरु पादुकाभ्यो नमः 
ॐ आचार्येभ्यो नमः , ॐ आचार्य पादुकाभ्यो नमः 
ॐ श्री गणेशाय नमः  का जप करे और निम्न क्रियाएँ समपन्न करे।

ॐ त्रिपुरायै च ह्रदयाय नमः बोलकर अपने ह्र्दय को,
ॐ विद्महे शिरसे स्वाहा बोलकर शिर को,
ॐ भैरव्यै च शिखायै वषट बोलकर चोटी को,
ॐ धीमहि कवचाय हुम बोलकर, एक-दूसरे हाथ से दोनो कन्धो को स्पर्श करे। 
ॐ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वोषट बोलकर, तर्जेनी, माध्यमा, अनामिका से तीनो नेत्रो को स्पर्श करे।
ॐ प्रचोदयादस्त्राय फट बोलकर सभी अंगो का स्पर्श करे। 


अब मूंगे या काली हकीक की माला से उत्तर दिशा की और मुहँ कर, रात्रि मे 9 से 3 बजे के बीच के समय मे, गहरे रंग के वस्त्र पहनकर, निम्न मंत्र का पाचँ माला मंत्र जप करना चाहिए।

ॐ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात॥

साधना काल मे कोध्र ना करे, किसी स्त्री का अपमान नही करनी चाहिए। परान्न खाने से बचे और परनिन्दा मत करे। 

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