Sunderkand Path
रामचरित मानस का पांचवां अध्याय सुंदर कांड है।
सुंदरे सुंदरो नमः सुंदरे सुंदरी कथा, सुंदरे सुंदरी सीता सुंदरे किन्न सुंदरम्। यानी सुंदर कांड में श्रीराम जी सुंदर हैं, सीता जी सुंदर हैं, हनुमान जी का पावन चरित्र सुंदर है। कथा सुंदर है, सुंदरकांड का यदि श्रद्धा भाव से अनुष्ठान किया जाए, तो उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इसमें
तनिक भी संदेह नहीं है।
प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर राम दरबार का चित्र रखें, धूप-दीप जलाएं। फिर तुलसीदास जी, श्री वाल्मीकि जी, श्री शिव जी, श्री हनुमान जी का आवाह्न करके पूजन करें। फिर तीनों भाईयों सहित श्री सीता राम जी का आवाह्न करें। षोडशोपचार पूजन, न्यास व ध्यान करें। अब किष्किंधाकांड के 29वें दोहे से पाठ प्रारंभ करें। अगर सुंदरकांड का पाठ करने वाले साधक शनिवार व मंगलवार के दिन उपवास रखें, तो उन्हें अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। इसका आरंभ आवाह्न से करना समाप्ति विदाई से करना जरूरी माना गया है। इसमें अलग-अलग मनोकामनाओं की पूर्ति के दोहे भी दिए गए हैं, जिनका पाठ करते समय विशेष ध्यान देना चाहिए।
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