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घट स्थापना 21 Sep, 2017 Ghat Sathapana Navratri

नवरात्रि पर घट-स्थापना होती है उनके लिए शुभ मुहूर्त 21 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक का है। इस दौरान घट स्थापना करना अच्छा होता है। किसी भी वक्त कलश स्थापित कर सकता है वैसे नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा वक्त शुरू हो जाता है इसलिए अगर जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाता है तो वो पूरे दिन किसी भी वक्त कलश स्थापित कर सकता है क्योंकि मां दुर्गा कभी भी अपने भक्तों का बुरा नहीं करती हैं। अभिजीत मुर्हूत 11.36 से 12.24 बजे तक है।













नवरात्र में मां के 9 रूपों की पूजा होती है...

पुजन सामग्री: मां दुर्गा की सोने, चांदी, ताम्बे या मिट्टी की बहुत ही सुन्दर मूर्ति, गंगाजल, पानी वाला नारियल या जटा वाला नारियल, लाल कपड़ा, मौली, रोली, चंदन, पान, सुपारी, धूपबत्ती, घी का दीपक, फल, फूल माला, बिना टुटे चावल, आम के पत्ते, तांबे या मिट्टी का एक कलश, देवी की मूर्ति के अनुसार लाल कपड़े, दुध की बनी मिठाई, इत्र, लाल चुडी, सिन्दूर, कंघा, दर्पण, काजल, एवं अन्य श्रृंगार की वस्तुए, कपूर, पंचामृत (दूध, दही घी, शहद, शक्कर या चीनी), जौ और एक मिट्टी की पात्र, लोंग, जायफल, लोबान, गुगल की धुप आदि होना अनिवार्य हैं।

सबसे पहले पुजन स्थान को शुद्ध कर लें इसके उपरांत एक लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गणपति और देवी की मूर्ति की स्थापना करें। थोडे से गणपति जी को अर्पित कर दें। किसी पश्चात सबसे पहले मिट्टी के पात्र मे जौ बोए। जौ बोने के बाद इसी के उपर एक पानी से भरा लोटा या कलश स्थापित कर दें। इस कलश पर ॐ और स्वातिक आदि चिन्ह बना दे और मोली को इस कलश की गर्दन पर बान्ध दे। इसके बाद इस कलश मे दूर्वा (दुब घास), चावल, सुपारी, दक्षिणा डाल दे। इस उपर आम के पत्ते रख दे और आम के पत्ते के उपर एक लाल चुन्नी बान्ध कर एक नारियल रख दें और सभी देवता और तीर्थो का अवाहान कलश मे करें।

कलश स्थापना के बाद संकल्प लेकर पुनः गुरु, गणपति आदि देवाताओं का पुजन करके अंत मे मां दुर्गा का पुजन करना चाहिए। पुजन के पश्चात देवी मां के पाठ आदि किए जा सकते हैं और अंत में क्षमा याचना करने के पश्चात मां दुर्गा की आरती करनी चाहिए। आसन का एक कौना उठाकर तीन आचमनी जल डालकर तीन बार “ॐ विष्णवे नमः” बोलकर जल को मस्तक से लगाना चाहिए। फिर एक प्रदक्षिणा करें।

पुजा के उपरांत साधक को दुध का सेवन या फलाहार करना चाहिए। इससे माता प्रसन्न होती हैं। यदि कोई साधक इन दिनो भोजन और जल का त्याग कर दें तो माता उसे सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं इसमें कोई संशय नहीं हैं। प्राप्त हुई सिद्धियों का उपयोग जन कल्याण के लिए ही किया जा सकता हैं अन्यथा सिद्धि क्षीण होकर साधक का ही अहित करती हैं।

21 सितंबर 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा
22 सितंबर 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
23 सितंबर 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा
24 सितंबर 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा
25 सितंबर 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा
26 सितंबर 2017 : मां कात्यायनी की पूजा
27 सितंबर 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
28 सितंबर 2017 : मां महागौरी की पूजा
29 सितंबर 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा
30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा

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