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Sun Ellipses, Surya Garhan Today - 21 Aug 2017

आपको ज्ञात होगा कि आज सूर्य ग्रहण हैं जोकि 21 अगस्त 2017 की रात्रि 9 बजकर 16 मिनट से आरंभ होगा और रात्रि में 2 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण हैं और इसका सबसे सुन्दर नजारा अमेरिका में देखने को मिलेगा इस दौरान सरकारी आफिस की छुट्टी भी रहेगी और न्युज चैनल पर भी दिखाया जाएगा। दिन में रात हो जाएगी।

सूर्य हमारे सौरमंडल का प्रमुख ग्रह हैं तो ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि सूर्य के साथ कुछ हो और उसका असर हम पर ना पडे। सूर्य से अनेकों प्रकार की रशिमियां निकलती हैं जैसे प्रकाश, Ultra Violet, Infra Red, अल्फा बीटा गामा आदि, विशेषकर सूर्य ग्रहण के समय में अल्फा बीटा गामा किरणों में अचानक बदलाव आ जाता हैं और सूर्य की ओर नंगी आखों से देखने पर नेत्र खराब हो जाते हैं। अल्फा बीटा गामा किरणें एक खास प्रभाव पैदा करती हैं बाकी सभी किरणें तो सभी सामान्यता रोज ही बनी रहती हैं।

शास्त्रीय मान्यताओं अनुसार, जो ग्रहण नंगी आखों से नहीं देखे जा सकते, वो मान्य नहीं होते या उनका कोई उस स्थान पर कोई प्रभाव नहीं होता। भारत के किसी भी क्षेत्र से इस ग्रहण को नहीं देखा जा सकता इसलिए इस ग्रहण का क्या प्रभाव होगा, यह कहना कठिन हैं।

सभी धर्मों के लोग में यही धारणा हैं कि ग्रहण के समय में ईश्वर या अपने ईष्ट का नाम लेना बहुत अच्छा रहता हैं इसलिए सभी व्यक्तियों (गर्भवती कोई कार्य ना करें, बच्चे – बीमार – बुढों के लिए कोई नियम नहीं) को अपने गुरु, गणेश, अपने पितृओ आदि का तर्पण, नवग्रह का मंत्र जप, खास शानि राहू केतु, एवं अपने ईष्ट देव आदि का मंत्र जप विभिन्न बाधाओं से मुक्ति दिलाता हैं। यह सूर्य ग्रहण सिंह लग्न में घटित हो रहा हैं और इस लग्न पर शनि की दृष्टि हैं तो ऐसे में सिंह राशि के जातको के लिए कोर्ट कहचरी से परेशानी हो सकती हैं और आर्थिक तंगी हो सकती हैं। अतः बचाव के लिए उपरोक्त देवताओं के मंत्रों का जप कर लेना चाहिए। उन मंत्रों का भी जप करना चाहिए जो पहले से सिद्ध किए हैं अन्यथा वो सभी मंत्र मलिन हो जाते हैं और आगे चलकर अपना कार्य बन्द कर देते हैं।

हर साधक के लिए ग्रहण एक महत्वपूर्ण समय होता हैं। सभी को अपने मूल मंत्र का जप करना चाहिए। मूल मंत्र की जितनी माला जप किया करते थे उतनी माला जप करना हैं। स्नान आदि करके कहीं भी एकदम साफ सुथरा आसन लगाकर बिना किसी नियम और रोकटोक के, गणेश – गुरु – नवग्रह – पितर आदि के समरण के बाद मूल मंत्र का मानसिक जप करना चाहिए और इस समय का लाभ लेने की कोशिश करनी चाहिए। जप करने से पहले और बाद मे स्नान करना अनिवार्य होता है लेकिन माला आदि को लेकर कोई नियम मान्य नहीं होता एवं अन्य पुजन सामग्री की भी अवश्यकता नहीं होती। ग्रहण के मध्य काल में दान के लिए कुछ राशि अलग से रख लें और मन ही मन दान करने के लिए प्रार्थना करे फिर अगली सुबह किसी देवी के मन्दिर मे राशि दान कर सिद्धि की प्रार्थना कर लें। बाकी जैसी जगत जननी की इच्छा।



1 comment:

  1. Namaskar sir.. Bhut acha gyan dia apne.. Mujhe bhi apka margdrshan prapt hua tha.. Apsra sadhna aur yakshinibsadhna main. Apka abhari hun.. Bhautik labh hua tha .. Dhanyavad.. Ajkl u tube pr pradeep kumar apsra yakshini ka acha gyan de rhe hain.. Ap jara ekbaar uska aaklannkijiye ki kta woh theek bta rhe hain.. Neeraj jammu

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