आमतौर पर
आभूषणों का इस्तेमाल सौंदर्य को बढ़ानेके लिए करते हैं, लेकिन प्राचीन काल में लोग इसका इस्तेमाल नकारात्मकशक्तियों को दूर करने के लिए करते
थे। बाद में रत्नजड़ित आभूषणों कोस्वास्थ्य से भी जोड़ा गया। यही नहीं, जीवन में प्यार, स्वास्थ्य, धन-दौलततथा अन्य जरूरतों को पूरा करने के
लिए नग, धातुओं, सींग हड्डियों, पक्षियोंके पंख तथा दूसरी अनेक चीजों को भी
धारण किया जाने लगा। इसी क्रम मेंअंगूठी के धारण करने के पीछे भी एक वजह रही। शुरू में
अंगूठी को चंद्रमा वसूर्य से जोड़ा
गया। जिसे नकारात्मकता से सुरक्षा का साधन भी माना गया।अंगूठी को पहनने का अर्थ है, स्वयं को शक्ति और ऊर्जा से
बांधना। इसलिएचमत्कारिक अनुष्ठानों में अंगूठी
को उतार दिया जाता था। क्योंकि अंगूठियांचमत्कार के प्रभाव को क्षीण कर देती हैं, ऐसी मान्यता थी। स्वास्थ्य लाभ केलिए रत्न जड़ित अंगूठियों को
तर्जनी अंगुली में ही धारण करने की परंपरारही। इसके अलावा मध्यमा अंगुली को अंगूठी के लिए
निषिद्ध माना गया। लेकिनअनामिका
अंगुली को अंगूठी धारण करने के लिए शुभ माना गया।क्योंकि मान्यताहै कि इसकी एक नस सीधे हृदय में
जाती है।
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