Header Ads

ad

Fight Stress, Controlling Anger


गुस्सा या क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन बताया गया है। गीता में भी बताया गया है कि काम, क्रोध और लोभ मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं। जो व्यक्ति जीवन में किसी चीज या स्थिति से असंतुष्ट हैं, वे अधिक क्रोध करते हैं। क्रोध में सबसे पहले जुबान अपना आपा खोती है। पर ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में क्रोध को दूर करने और जीवन में शांति का संचार करने के कई उपाय बताए गए हैं। वास्तुशास्त्र में अग्नि कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा को क्रोध का कारक स्थान बताया गया है। इसलिए इन कोण में सोना या बैठना वर्जित बताया गया है।
अगर किसी व्यक्ति का गुस्सा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, तो पहले वास्तुशास्त्र की मदद लेकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कहीं उसका शयनकक्ष या व्यक्ति के बैठने की जगह अग्निकोण में तो नहीं है। कार्यालय या व्यावसायिक स्थानों में भी जो कर्मचारी अग्निकोण में बैठते हैं, उनका स्वभाव आक्रामक होने लगता है। अगर बॉस का कमरा अग्निकोण में हो, तो वह अक्सर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर क्रोधित होता रहता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार मालिक या उच्च पदस्थ व्यक्तियों को अग्निकोण की जगह नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) बैठकर कार्यालय की गतिविधियों का संचालन करना चाहिए। वास्तु में द्वार योजना के अनुसार पूर्व-मध्य का द्वार ‘रवि’ नामक देवता का है, जो क्रोध बढ़ाते हैं। जिस घर या व्यापारिक संस्थान में ‘रवि’ नाम का द्वार होता है, वहां क्रोध बहुत अधिक मिलता है। अगर प्रयास करने के बाद भी क्रोध नियंत्रित नहीं हो रहा हो, तो इन नियमों पर गौर करें

आमतौर पर माना जाता है कि मोती रत्न धारण करने से क्रोध नहीं आता है। पर वास्तविकता यह है कि जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा योगकारक होगा, उन्हें ही मोती धारण करने का लाभ भी मिलता है। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा अकारक होगा या अशुभ स्थान पर बैठा होगा, तो ऐसे व्यक्तियों को मोती पहनने से विपरीत परिणाम मिलने लगते हैं। इसलिए रत्न या पत्थरों को किसी विशेषज्ञ ज्योतिष की सलाह के बाद ही धारण करना चाहिए। 

यद्यपि क्रोध को नियंत्रित करने के कई दूसरे तरीके भी हैं 

सोते समय सिर हमेशा पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ओर करें। संभव हो, तो सिरहाने की तरफ क्रिस्टल बॉल अथवा एक प्लेट में फिटकरी का टुकड़ा रखें। इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी।

अगर जन्मकुंडली में चंद्रमा का संबंध शुभ भाव से हो, तो ही मोती धारण करें। मोती को विशेष प्रभावशाली बनाने के लिए सोमवार के दिन शुभ मुहूर्त देखकर मोती के नीचे चांदी का अर्द्धचंद्रमा जड़वाकर क्रोधी व्यक्ति के गले में धारण कराएं।

घर अथवा कार्यालय में कभी भी अग्निकोण में नहीं बैठना चाहिए। अगर ऐसा है, तो वास्तु के उपाय करवाना श्रेयस्कर रहेगा।

जब क्रोध आए, तो गुरु मंत्र का जप अथवा अपने माता एवं पिता का स्मरण करना चाहिए।

प्रतिदिन सूर्य नमस्कार एवं प्राणायाम करें जिससे तन-मन दोनों की शक्ति का विकास हो सके। क्रोध जैसी व्याधियों पर विजय पाने के लिए एवं स्वस्थ निरोगी जीवन जीने के लिए प्राणायाम और सूर्य नमस्कार अचूक अस्त्र है, इन्हें प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है।

क्रोध शांत करने हेतु जन्मकुंडली में जो ग्रह सर्वाधिक बलवान, योगकारक हो अथवा षोडषवर्गीय कुंडली में हर वर्ग में जिस ग्रह को विशेष बल प्राप्त हो, उस ग्रह से संबंधित देवी-देवता की आराधना जीवन में विशेष उन्नतिदायक एवं क्रोध शमन हेतु कारगर मानी गई।

क्रोध सृष्टि के प्रत्येक प्राणी का स्वभाव होता है। पर यह ज्यादा होने पर जीवन का विनाश भी कर सकता है। इसलिए क्रोध को नियंत्रित करने के लिए वास्तु और ज्योतिष सम्मत उपायों पर विचार अवश्य करना चाहिए।

यह उपाय भी किया जा सकता हैं। ईश्वर की पूजा से केवल देव कृपा नहीं मिलती, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। अगर नियमित रूप से शिव के द्वादश नामों का जप किया जाए, तो जातक को परेशानियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही उनके जीवन में परिवर्तन भी आता है और सारे कार्यों की सिद्धि होती है। इसके अलावा अगर प्रतिदिन से रुद्राक्ष की माला को गंगाजल से धोकर, "ॐ नम: शिवाय:" मंत्र जपते हुए माला को शिवलिंग से स्पर्श कराकर धारण करें, तो उपासक को शिव जी की कृपा मिलती है। इसी प्रकार अगर रुद्राक्ष की एक माला से प्रतिदिन शिव मंत्र का जप किया जाए, तो भी व्यक्ति का मन शांत होता है। अगर शिव के द्वादश नामों को सुबह पूजा के दौरान या रात को सोने के पहले व्यवस्थित रूप में सही उच्चारण के साथ जपा जाए, तो व्यक्ति को अपने उद्देश्यों में सफलता मिलती है।

या फिर मुझे फोन करें।

No comments

अगर आप अपनी समस्या की शीघ्र समाधान चाहते हैं तो ईमेल ही करें!!