Navratri 2013 Kalash Sthapna Mahurat, Durga Pujan Items
नवरात्रि में पुजन के लिए क्या सामग्री चाहिए?
रोली, मोली/कलावा, पान, सुपारी, जायफल, धुपबत्ती, फूलमाला, चन्दन,
चुन्नी, लाल वस्त्र, जौं, बताशे, कपूर, दुध, दही, घी, शहद, शक्कर, मिठाईयाँ, चावल
बासमती बिना टुटा, आम के पत्ते, गंगा जल, जटा वाला नारियल, घी का दीपक, ताजे फल, बेलपत्र, एक थाली और कुछ बर्तन। घर के दरवाजे पर बन्दनवार के लिए आम के पत्ते, तांबे या मिटटी का एक घड़ा, चन्दन की लकड़ी, सयौंषघि, हल्दी की गांठ, देवी के लिए श्रृंगार या आभुषण जोकि
स्नान के उपरान्त पहनाने के लिए चाहिए। देवी की मूर्ति के अनुसार लाल कपड़े, सुगन्धित तेल या इत्र, सिन्दूर, कंघा, दर्पण या शीशा, जलाने के लिए गुगल
और लोबान आदि काफी रहेगा।
नवरात्रि कलश स्थापना का समय: आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है और दिनाँक 11 अप्रैल 2013 हैं। आज के दिन
नवरात्रि प्राराम्भ हो रही है। इस समय में कलश स्थापना करना शुभ होगा। आज के दिन
कलश स्थापना के निम्न मुहूर्त हैं।
प्रात: काल - सुबह 5.42 बजे से लेकर सुबह 8.12 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त
- दोपहर 11.33 बजे से 12.23 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त मे कोई भी कार्य किया जा सकता है इसलिए आप चाहे तो अभिजीत मुहूर्त के समय मे भी कलश की स्थापना कर सकते हैं। यह शुभ नक्षत्र हैं।
सम्पूर्ण दुर्गासप्तशती का अगर पाठ न भी कर सकें तो निम्नलिखित श्लोक का पाठ को पढ़ने से सम्पूर्ण दुर्गासप्तशती और नवदुर्गाओं के पूजन का फल प्राप्त हो जाता है।
सर्वमंगलमंगलये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके
गौरि नारायणि नमोऽतु ते।।
शरणांगतदीन आर्त परित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवी
नारायणि नमोऽस्तु ते।।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते। भयेभ्यारत्नाहि नो
देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ।।
नौ दुर्गाओं के नौ दिव्य नाम ब्रहमा जी की वाणी में इस प्रकार दिये
गये हैं ।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रहमचारिणी। तृतीयं
चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं
कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।।
नवरात्रों में नौ दिनों तक व्रत और पूजा का विधान हैं, परन्तु यदि सामर्थ्य न हो तो 7, 5, 3, 1 दिन का भी व्रत रखा जा सकता है। नवरात्रों में पहले और आखिरी दिन व्रत का भी
काफी
महत्व है। आज रात को जमाकर देवी माँ के पाठो को करना चाहिए या फिर दुर्गा जी के 108 नामों को, सिद्ध कुंजिका को, देवी सुकतं को, अर्गला स्त्रोत्र, कीलकं, आदि का पाठकर क्षमा याचना कर लेनी चाहिए। साधक यह ध्यान रखें कि पुजन मे संकल्प भी कर लेना चाहिए और देवी माँ से देवी माँ की भक्ति मांगनी चाहिए क्योंकि देवी माँ के आशीर्वाद मे सारे जाहान की खुशीयाँ आ जाती हैं। यदि कोई समस्या हैं तो उसके निवारण के लिए भी संकल्प किया जा सकता हैं।
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