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Tara Mahavidya Sadhana for Wealth


This Sadhana is mainly designed to get wealth from goddess Tara. Tara Sadhana is accomplished for gain of knowledge, intelligence, victory and totality in life. Also this Sadhana is done to avert untimely death, accidents, financial progress and giving a boost to the business.  In fact in every condition this is suitable and best, but it should be done in guidance of Guru. This is whole process. यह विद्या साधकों को बुद्धि, ज्ञान, शक्ति, जय एवं श्री देने वाली तथा भय, मोह एवं अपमृत्यु का निवारण करने वाली मानी गयी हैं। 

First take water in to left hand palm and chant this mantra. Left hand should be covered with right hand palm.

अपवित्र: पवित्रो वा सर्ववस्थां गतोपि वा | : स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं बाह्याभ्यन्तर: शुचि: ||

इस पानी को अपने उपर छिड्क ले

दस बार ॐ का उचारण करें।
आचमन, स्थान शुद्धि, भुमि पुजन, दिग्बन्धन आदि करने के बाद गणपति और गुरु की पुजा शुरु करे। यह सब पुजा की सामान्य क्रिया हैं जोकि दीक्षीतो को आती हैं।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः
फिर पुजा के लिए संकल्प करें कि किस कार्य से किस की पुजा करी जा रही हैं। संकल्प के लिए सीधे हाथ मे जल लेकर अपना संकल्प कहें।

First take a piece of wood and place it. The direction of seeker should be toward east side. Means face of sadhak should be toward east or north. Place Tara Yantra and picture of Devi Tara in front of you. Picture and Yantra should be place on Rose flower. Rose is favorite one of devi Tara. Start this process

Take few Rose in palm and do Dhyan of Devi by given Mantra.

प्रत्यालीढ पदार्पितांगघ्रिशवहृद घोराट्टहासा परा,खडगेन्दीवरकर्तृं खर्परभुजा हूंकार-बीजोद-भवा
खर्वानील विशालपिंगल जटा जूटैकनागैर्युता,जाड्य न्यस्य कपालिके त्रिजगतां हन्त्युग्रतारास्वयम

सीधे हाथ मे जल लेकर कहे  - ‘ॐ अस्य श्रीतारांमन्त्रस्य अक्षोभ्यऋषिः बृहतीछन्दः तारादेवता ह्रीं बीजं हुं शक्तिः ममाऽभीष्टसिद्धयर्थं तारामन्त्रजपे विनियोगः । जल छोड दे

फिर न्यास करे न्यास करते हुए लिखे गये अंगो का स्पर्श करते रहे।

ऋष्यादिन्यास
‘ॐ अक्षोभ्यऋषये नमः शिरसि        
ॐ बृहतीछन्दसे नमः मुखे,
ॐ तारादेवतायै नमः हृदि,        

ॐ ह्रीं  बीजाय नमः गुह्ये,
ॐ हूँ  शक्तये नमः पादयोः    

ॐ स्त्रीं कीलकाय नमः सर्वाङ्गे

कराङ्गन्यास -    

ॐ ह्रां अङ्‌गुष्ठाभ्यां नमः,        
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्या नमः,
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः,        

ॐ ह्रैं अनकामिकाभ्यां नमः,
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः        

ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः,

मुल मंत्र ह्रीं स्त्री हुं फट की 13,26,39 माला काले हकीक की माला से रोज करें। अंतिम दिन मे इतनी ही संख्या से हवन ही करे।  
घी के दीपक से आरती करें जो भी कर सकते हैं चाहे अम्बे की करें फिर नमस्कार करें और कहे।

गुह्यातिगुह्या गोप्ती त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम,सिद्धिर्भवतु मे महादेवी त्वत प्रसादान्देवी
मंत्र जप समाप्ति पर साधक साधना कक्ष में ही सोयें। 


सभी सामन को पुजा वाले कपडे मे लपेट कर कलवा से बांध कर नदी में प्रवाहित कर दें। कुछ सिक्के भी पानी मे डाल दे। हाथ जोडकर घर आये किसी से बात ना करें और पीछे मुडकर ना देखे तो ज्यादा अच्छा हैं। वरना प्रभाव कम हो जाता हैं। घर पहुँचते ही साधना सिद्धि हो चुकी होगी। धन पाने के नये मार्ग स्वयं माँ खोलती जायेगी इसके अलावा आपके स्वास्थ, बुद्धि, वाणी का ध्यान रखेगी

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