Have you observed this?
यह सन्देश उन सभी के लिए हैं जो किसी साधना को करना चाहते हैं
हर व्यकित में तीन नाडियाँ होती हैं : इंडा, पिंगला और सुस्मना । इन सभी के सम्बन्ध व्यकित की नाक से होता हैं इन नाड़ियो के कार्य को नाक से समझा जा सकता हैं. उधाहरण के तोर पर
इंडा: जब उलटी नाक से हवा तीर्व गति से चलेगी तो देखना की आपको बहुत तेज प्यास लगी होगी
पिंगला: जब सीधी नाक से हवा तीर्व गति से चलेगी तो देखना की आपको बहुत भूख लगी होगी
सुस्मना: जब दोनों नाक से हवा तीर्व गति से चलेगी तो आपको भगवान से जुड़े कार्य करने चाहिए परन्तु ऐसा कोई नहीं करता, यह वो समय हैं जब भगवान् आप से स्वयं जुड़ा होता हैं. यह दोनों नाडिया आप देखना की जब आप दोड़ते हो, सेक्स करते हो, मालिक का ध्यान करते हो तो स्वयं चलने लग जाती हैं. (ओशो जी ने एक पुस्तक "सम्भोग से समाधी की और" लिखी हैं. यह इस बात का परमाण हैं की दोनों कार्य सेक्स या प्रभु मिलन में सुस्मना ही कार्य करती हैं, ओशो जी ने तो इसे इस पुस्तक में सही दिशा की जानकारी दी हैं. मतलब अपनी शक्ति को जिसे हमने सेक्स में लगया हैं अगर उसे हम प्रभु मिलन में लगा दे तो जीवन सफल हो जायेगा. और यह सही दिशा ही सिद्धियों का कारण भी होती हैं )
किसी भी व्यक्ति में बहत्तर हज़ार नाडियाँ होती हैं. जब कोई अपनी माँ के ग़र्भ में होता हैं तो यह नाडियाँ उसका पोसण करती हैं. जो उसकी नाभि से जुडी रहती हैं . नाभि में बहत्तर हज़ार नाडियोँ का केंद्र होता हैं. इनमें छोटी-बड़ी सभी नाडियां होती हैं। इनका अंतिम सम्बन्ध इंडा पिंगला सुस्मना से होता हैं और शरीर की सभी कार्य इन्ही से नियन्त्रित होते हैं। इनमें प्रभु मिलन में सुस्मना का विशेष योगदान होता हैं और सुस्मना की हेल्प से ही सिद्धि होती हैं। या यह कहो कि सिद्धि होने पर यह स्वयं ही चलने लगी हैं और मस्तिक के अग्र भाग पर कुछ सनसनी हमेशा महसूस होती हैं. इस के इलावा सिर के उपरी भाग पर भी सनसनी महसूस होती रहती हैं.
सिद्धि या प्रभु से जुड़े कार्यो में सेक्स ना करने का नियम इसी कारण होता हैं क्यूंकि सेक्स के कारण सारी उर्जा तो गलत कार्यो में खर्च हो जाएगी. एक बात यह कि सेक्स में उर्जा सदैव नीचे की ओर चलती परन्तु प्रभु के कार्यो में/सिद्धियो को सफल बनाने में यह उर्जा ऊपर की ओर चलती हैं.
Post a Comment