Somvati Amavasya
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सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि के संयोग को सोमवती अमावस्या कहते
हैं। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या का जिस दिन, जिस समय, जहां वास होता
है, वहां गंगा पुष्कर सहित विश्व के समस्त तीर्थ विद्यमान होते हैं। इसलिए
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान तथा पूजा-पाठ, जप-तप, यज्ञ हवन आदि शुभ
कर्मों का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए प्रत्येक शुभ कार्यों का अक्षुण्ण
फल मनुष्य को प्राप्त होता है। इस व्रत का वर्णन पितामह भीष्म ने
युधिष्ठिर को समझाते हुए कहा है, ‘हे धर्मराज, इस दिन पवित्र नदियों में
स्नान करने तथा पीपल वृक्ष एवं भगवान विष्णु की पूजा एवं पीपल वृक्ष की
प्रदक्षिणा करने वाले मनुष्य के समस्त दैहिक, दैविक, भौतिक ताप एवं कष्ट
समाप्त हो जाते हैं और वह समस्त दु:खों से मुक्त होकर स्वस्थ, सुखी,
समृद्धशाली जीवन यापन करते हैं। साथ ही उनके पितरों को भी शांति प्राप्त
होती है। इसलिए इस पुण्य तिथि पर हमेश अशुभ कर्मों से दूर रहकर शुभ कर्मों
में संलग्न रहना चाहिए।’
सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी नोकरी, विवाह और कोई भी परेशानी जीवन मे हो खत्म हो जाती है। आज के दिन पीपल के पेड के पास जाइये, उस ही पीपल देवता को एक जनेऊ दीजिये साथ ही दुसरा जनेऊ भगवान विष्णु जी के नाम से उसी पीपल के पेड को दीजिये, पीपल के पेड और भगवान विष्णु को नमस्कार कर प्रार्थना कीजिये, अब एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की कारे दुध की बनी मिठाई को हर परिक्रमा के साथ पीपल को अर्पित करते जाईए। परिक्रमा करते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र को जपते रहे। 108 परिक्रमा पूरी करने के बाद पीपल के पेड और भगवान विष्णु से फिर प्रार्थना करे कि जाने अन्जाने में हुये अपराधो के लिए उनसे क्षमा मांगिये। और अपने पितरो के कल्याण के लिए प्रार्थना करे।
यह कैसे जाने किसको पितर दोष है: अपनी जन्म कुंड्ली मे देखे कि “कया जन्म लग्न से नोवे भाव मे पाप ग्रह(राहू केतु मंगल शानि सुर्या) है, क्या नोवे भाव का स्वामी पाप ग्रह के साथ है बैठा है” फिर ऐसे ही चन्द्र लग्न से देखे “कया नोवे भाव मे पाप ग्रह है, क्या नोवे भाव का स्वामी पाप ग्रह के साथ है बैठा है” तो आपको यह दोष है। इसमे भी राहू केतु यादि है तो 100% यह दोष मोजुद है। इसलिये देर ना करे यह उपाय करने मे। नही तो जो भी नया काम करोगे तो 3-6 के अन्दर बिगड जायेगा।
अगर आज मोका चुक गया तो फिर 15 अक्टूबर 2012, 11 मार्च 2013, 08 जुलाई 2013 और 02 दिसम्बर 2013 को मिलेगा
अगर दोष नही भी है तो करने मे क्या बुराई है यह तो हमारा और पितरो का कल्याण करने वाला उपाय है।
यह कैसे जाने किसको पितर दोष है: अपनी जन्म कुंड्ली मे देखे कि “कया जन्म लग्न से नोवे भाव मे पाप ग्रह(राहू केतु मंगल शानि सुर्या) है, क्या नोवे भाव का स्वामी पाप ग्रह के साथ है बैठा है” फिर ऐसे ही चन्द्र लग्न से देखे “कया नोवे भाव मे पाप ग्रह है, क्या नोवे भाव का स्वामी पाप ग्रह के साथ है बैठा है” तो आपको यह दोष है। इसमे भी राहू केतु यादि है तो 100% यह दोष मोजुद है। इसलिये देर ना करे यह उपाय करने मे। नही तो जो भी नया काम करोगे तो 3-6 के अन्दर बिगड जायेगा।
अगर आज मोका चुक गया तो फिर 15 अक्टूबर 2012, 11 मार्च 2013, 08 जुलाई 2013 और 02 दिसम्बर 2013 को मिलेगा
अगर दोष नही भी है तो करने मे क्या बुराई है यह तो हमारा और पितरो का कल्याण करने वाला उपाय है।
अन्य विधि:
पूजन एवं व्रत विधि : प्राय: अपने पति की दीर्घायु की प्राप्ति, अखंड सौभाग्य तथा सुख-शांति व समृद्धि के लिए यह व्रत विवाहित स्त्रियां रखती हैं। इस दिन प्रात: काल दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर ब्रह्म मुहूर्त में मौन धारण कर किसी पवित्र नदी अथवा घर पर ही स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर पीपल वृक्ष के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर इस मंत्र से संकल्प लें
मम अखिल पाप प्रशमानार्थं धन-धान्य, ऐश्वर्य, कीर्ति, वृद्धयर्थं अखंड सौभाग्य प्राप्त्यर्थं
श्री हरि विष्णु प्रसन्नार्थं, सकल कामना सिद्धये च सोमवती अमावस्या व्रतं अहं करिष्
तत्पश्चात पीपल वृक्ष को सात बार कच्चे सूत से लपेटकर उसके मूल भाग में भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करके पीले वस्त्र, पीला अक्षत, चंदन, पीले पुष्प, धूप-दीप, दूध, दही नैवेद्यादि को समर्पित करते हुए विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस दिन गौरी-गणेश को भी स्थापित करके पूजन करने का विधान है। पूजन के बाद किसी खाद्य सामग्री से 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए और प्रदक्षिणा करते समय पीपल पर वास करने वाले सभी देवों का ध्यान कर अपने अंदर के काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर आदि दुर्गुणों को दूर करने की कामना करते हुए निम्न मंत्र से प्रदक्षिणा करनी चाहिए। इस दौरान "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का भी जप करना चाहिए।
मंत्र
यानि कानि पापानि जन्मांतर वृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यंति प्रदक्षिणे पदे पदे।
प्रदक्षिणा करने के बाद खाद्य पदार्थों को दान में दे देना चाहिए। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन से प्रारंभ कर जो व्यक्ति हर अमावस्या या सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करता है, वह चाहे किसी भी विकट परिस्थितियों से घिरा हो, उससे मुक्त होकर सुख, सौभाग्य तथा ऐश्वर्य को प्राप्त करता है। रात्रि जागरण कर दूसरे दिन पीपल की समिधा, खीर, तिल से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" विष्णु मंत्र से हवन व पूर्णाहुति कर भगवान का ध्यान करना चाहिए।
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगन सदृशं मेघ वर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मीकातं कमल नयनं योगर्विद्यानगम्यम्। वंदे विष्णुं भव भय हरम् सर्व लोकैकनाथम्।
पुण्य प्रदायिनी सोमवती अमावस्या
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