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Somvati Amavasya 04-July-2016/ सोमवती अमावस्या



सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि के संयोग को सोमवती अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या का जिस दिन, जिस समय, जहां वास होता है, वहां गंगा पुष्कर सहित विश्व के समस्त तीर्थ विद्यमान होते हैं। इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान तथा पूजा-पाठ, जप-तप, यज्ञ हवन आदि शुभ कर्मों का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए प्रत्येक शुभ कार्यों का अक्षुण्ण फल मनुष्य को प्राप्त होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने तथा पीपल वृक्ष एवं भगवान विष्णु की पूजा एवं पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करने वाले मनुष्य के समस्त दैहिक, दैविक, भौतिक ताप एवं कष्ट समाप्त हो जाते हैं और वह समस्त दु:खों से मुक्त होकर स्वस्थ, सुखी, समृद्धशाली जीवन यापन करते हैं। साथ ही उनके पितरों को भी शांति प्राप्त होती है। इसलिए इस पुण्य तिथि पर हमेश अशुभ कर्मों से दूर रहकर शुभ कर्मों में संलग्न रहना चाहिए।

पूजन विधि: सूर्य उदय से सूर्य अस्त के बीच में इस प्रयोग को खाली पेट रहकर सम्पन्न करना चाहिए। पीपल के पेड के पास जाइये, पीपल का पेड ऐसा हो जिसकी प्ररिक्रमा करी जा सकती हो। अब पीपल देवता को एक जनेऊ दीजिये। ऐसा मान लें पीपल के पेड़ के नीचे विष्णु भगवान का एक चित्र रखा हैं / या भगवान विष्णु बैठे हैं। विष्णु भगवान को भी दुसरा जनेऊ अर्पित किजिए। पीपल के पेड और भगवान विष्णु को नमस्कार कर प्रार्थना कीजिये। इसके उपरांत कलावा / मौली, पीला अक्षत (हल्दी मे रंगे हुए), चंदन (यदि सम्भव हो), पीले पुष्प, धूप-दीप, दूध, दही, थोडी सी दुध की बनी मिठाई समर्पित करते हुए पूजा-अर्चना किजिए। इतना पुजन होनें के बाद पीपल की परिक्रमा करनी शुरु करें हर एक परिक्रमा के साथ थोडी सी मिठाई पीपल पर अर्पित करते हुए “यानि कानि पापानि जन्मांतर वृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यंति प्रदक्षिणे पदे पदे। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या सिर्फ  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जप करते रहें। 108 परिक्रमा पूरी करने के बाद पीपल के पेड और भगवान विष्णु से फिर प्रार्थना करे कि जाने अन्जाने में हुये अपराधो के लिए उनसे क्षमा किजिए।

प्रदक्षिणा करने के बाद खाद्य पदार्थों को दान में दे देना चाहिए। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन से प्रारंभ कर जो व्यक्ति हर अमावस्या या सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करता है, वह चाहे किसी भी विकट परिस्थितियों से घिरा हो, उससे मुक्त होकर सुख, सौभाग्य तथा ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।

सोमवती अमावस्या के दिन व्यक्ति तुलसी के पौधे की धुप दीप सें पुजा करते हुए, फिर तुलसी के पौधे की परिक्रमा करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का 108 बार जप करता हैं तो उसके जीवन में धन सम्बन्धी समस्या नहीं होती। ऐसे व्यक्ति का कोई कार्य धन के अभाव से नहीं रुकता।

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